व्रतों और मौसम के बीच सन्तुलन
सभी धर्मावलम्बी, किसी न किसी रूप में वर्ष में कभी न कभी उपवास अवश्य रखते हैं। इससे भले ही उनकी जीवनी-शक्ति का जागरण न होता होगा किन्तु धार्मिक विश्वास के साथ वैज्ञानिक आधार पर विचार कर हम कह सकते हैं...
View Articleसंसार में इंसान अकेला ही आता और जाता है
जाने कैसे मर-मर कर कुछ लोग जी लेते हैं दुःख में भी खुश रहना सीख लिया करते हैंमैंने देखा है किसी को दुःख में भी मुस्कुराते हुएऔर किसी का करहा-करहा कर दम निकलते हुएसंसार में इंसान अकेला ही आता और जाता...
View Articleअब मैं वह दिल की धड़कन कहाँ से लाऊंगा
जब-जब भी मैं तेरे पास आयातू अक्सर मिली मुझे छत के एक कोने मेंचटाई या फिर कुर्सी में बैठीबडे़ आराम से हुक्का गुड़गुड़ाते हुएतेरे हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुन मैं दबे पांव सीढ़ियां चढ़कर तुझे चौंकाने तेरे...
View Articleबस हैप्पी न्यू ईयर बोल
एक निश्चित दूरीहै बहुत जरूरीदेखो! उन कुकुरों को जो जब तक एक-दूजे को देखगुर्रा-धमकाकर रास्ता नाप लेते हैंतक तक वे सुरक्षित रहते हैंलेकिन जैसे ही वे आपस में भिड़ते हैंएक-दूजे की टंगड़ी-संगड़ी तोड़ लेते...
View Articleजब शेर पिंजरे में बन्द हो तो कुत्ते भी उसे नीचा दिखाते हैं
जब मनुष्य सीखना बन्द कर देता हैतभी वह बूढ़ा होने लगता हैबुढ़ापा मनुष्य के चेहरे पर उतनी झुरियाँ नहीं जितनी उसके मन पर डाल देता हैअनुभव से बुद्धिमत्ता और कष्ट से अनुभव प्राप्त होता हैबुद्धिमान दूसरों की...
View Articleसर्दी में सबको प्यारी लगती धूप
सर्दी में सबको प्यारी लगती धूप देखो बिल्ली मौसी क्या पसरी खूब! धूप में छिपा है इसकी सेहत का राज बड़े मजे में है मत जाना उसके पासबिना धूप ठण्ड के मारे सभी थरथर्राते मिलती...
View Articleदो घरों की चिराग होती हैं बेटियाँ
चिरकाल से लड़कों को घर का चिराग माना जाता है, लेकिन मैं समझती हूँ कि यदि उन्हें घर का चिराग माना जाता है तो मेरे समझ से वे केवल एक घर के ही हो सकते हैं, जबकि लड़कियाँ एक अपने माँ-बाप का तो दूसरा ससुराल...
View Articleअब आने वाला युग महिलाओं के नाम
मुझे याद है जब हम बहुत छोटे थे तो हमारे घर- परिवार की तरह ही गांव से कई लोग रोजी-रोटी की खोज में शहर आकर धीरे-धीरे बसते चलते गए। शहर आकर किसी के लिए भी घर बसाना, चलाना आसान काम नहीं रहता है। घर-परिवार...
View Articleमतलबी दुनिया में एक दिन सबका आता है
न लालच, गुस्सा न शिकायत एक समभाव वाला जीव वहभारी मेहनत करने के बाद भीरूखा, सूखा खाकर खुश रहता है दुनिया भर का अत्याचार सहता है जुग-जुग से लोगों की सेवा करता है भला करके भी बुरा बनता है संत ऋषि...
View Articleअबकी बार होली में कोरोना ने है पकड़ा
अबकी बार होली में कोरोना ने है पकड़ाचुराकर सब रंग मेरे अपने रंग में है जकड़ा गले में ठूसी जा रही हैं रंग बिरंगी गोलियांमुंह बांधे उड़ी रंगत में आ जा रही टोलियांतन पर नर्सें कर रही इंजेक्शनी...
View Articleऐसा कोई मनुष्य नहीं जो दुःख और रोग से अछूता रहता है
ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो दुःख और रोग से अछूता रहता है थोड़ी देर का सुख बहुत लम्बे समय का पश्चाताप होता है एक बार कोई अवसर हाथ से निकला तो वापस नहीं आता है दूध बिखरने के बाद रोने-चिल्लाने से कोई फायदा नहीं...
View Articleकोरोना में घर-परिवार और हाॅस्पिटल का संसार
कोरोना की मार झेलकर 10 दिन बाद हाॅस्पिटल से घर पहुंचा तो एक पल को ऐसे लगा जैसे मैंने दूसरी दुनिया में कदम रख लिए हों। गाड़ी से सारा सामान खुद ही उतारना पड़ा। घरवाले दूरे से ही देखते रहे, कोई पास नहीं आया...
View Articleभले लोग भेड़ जैसे जो किसी को हानि नहीं पहुँचाते हैं
बह चुके पानी से कभी चक्की नहीं चलाई जा सकती हैलोहे से कई ज्यादा सोने की जंजीरें मजबूत होती हैचांदी के एक तीर से पत्थर में भी छेद हो सकता हैएक मुट्ठी धन दो मुट्ठी सच्चाई पर भारी पड़ता हैनिर्धन मनुष्य की...
View Articleहरियाली अमावस्या और वृक्षारोपण
आज हरियाली अमावस्या है। हमारे हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहते हैं। इसे विशेष तिथि के रूप में माना जाता है। इस दिन लोग पूर्वजों के...
View Articleबहुत लोगों को डराकर रखने वाला भी बहुत लोगों से डरता है
बुरे संग प्रार्थना करने से भले लोगों संग मिलकर डाका डालना भलासुन्दर वस्त्र पहनकर नरक जाने से चिथड़े पहनकर स्वर्ग जाना भलाबेडौल लोहे को हथौड़े से पीट-पीटकर सीधा करना पड़ता हैशेर की मांद में घुसने वाला ही...
View Articleमिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाते समय कठिन परिश्रम और धैर्य की परीक्षा होती है
प्रथम पूज्य गणपति जी की मूर्ति स्थापना के साथ ही पर्यावरण और हमारी झीलों को खतरनाक रसायनों से बचाने के उद्देश्य से मेरे शिवा ने इस बार गणेशोत्सव में अपने हाथों मिट्टी से एक-दो नहीं अपितु पूरी 30 गणेश...
View Articleहिन्दी का महोत्सव है हिन्दी दिवस
लो फिर आ गया एक पर्व की तरह हमारा हिन्दी का महोत्सव। हर वर्ष की भांति 14 सितम्बर को हिन्दी चेतना जागृत करने, उसके प्रति निष्ठा व्यक्त करने और उसका सिंहावलोकन कर उसकी प्रगति पर विचार करने के...
View Articleमाटी की मूरत
गीली सी मिट्टी से भर के अपनी मुट्ठी सोचा मैंने बनाऊँ माटी की मूरत ऐसी डूबूँ जिसको ढ़ालते-बनाते मैं ऐसे कि दिखे मुझे वह सपनों की दुनिया जैसी पर जरा सम्भलकरकहीं माटी न गिर जायगिरकर फिर वापसपहले जैसे न रह...
View Articleकुत्तों के भौंकने से हाथी अपना रास्ता नहीं बदलता है
आदमी काम से नहीं चिन्ता से जल्दी मरता है गधा दूसरों की चिन्ता से अपनी जान गंवाता हैधन-सम्पदा चिन्ता और भय अपने साथ लाती है धीरे-धीरे कई चीजें पकती तो कई सड़ जाती हैविपत्ति के साथ आदमी में सामर्थ्य भी...
View Articleढपली और झुनझुने का गणित
गर्मियों के दिन थे। सुबह-सुबह सेठ जी अपने बगीचे में घूमते-घामते ताजी-ताजी हवा का आनन्द उठा रहा थे। फल-फूलों से भरा बगीचा माली की मेहनत की रंगत बयां कर रहा था। हवा में फूलों की भीनी-भीनी खुशबू बह रही...
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