परशुराम-लक्ष्मण संवाद प्रसंग
परशुराम जयंती के के लिए जब सम्पूर्ण ब्राह्मण समाज ने शासन का आभार व्यक्त किया तो मेरे मन में भी कभी रामलीला के एक दृश्य में सीता स्वयंवर के समय परशुराम-लक्ष्मण संवाद चलचित्र स्मृतिपटल पर उभरने लगा। जब...
View Articleफाख्ता का घर-परिवार
कभी जब घर आँगन, खेतिहर जमीनों में, धूल भरी राहों में, जंगल की पगडंडियों में भोली-भाली शांत दिखने वाली फाख्ता (पंडुकी) भोजन की जुगत में कहीं नजर आती तो उस पर नजर टिक जाती। उसकी भोलेपन से भरी प्यारी सूरत...
View Articleदूर-पास का लगाव-अलगाव
कोई सेब अपने पेड़ से बहुत दूर नहीं गिरता है।बछड़ा अपनी माँ से बहुत दूर नहीं रहता है।।दूर का पानी पास की आग नहीं बुझा सकता है।मुँह मोड़ लेने पर पर्वत भी दिखाई नहीं देता है।।दूर उड़ते हुए पंछी के पंख...
View Articleशिंगणापुर के शनिदेव
कई वर्ष बाद इस वर्ष 8 जून को शनिवार के दिन शनि जयंती का संयोग बना है। इसी दिन शिंगणापुर की यात्रा के वे पल याद आ रहे हैं जब हम पहली बार सांई बाबा के दर्शन कर सीधे शनिदेव के दर्शन के लिए शिंगणापुर...
View Articleसंत कबीर
"यहु ऐसा संसार है, जैसा सेमर फूल। दिन दस के ब्यौहार कौं, झूठे रंग न भूल।।" दस दिन के जीवन पर मानव नाहक ही मिथ्या अभिमान करता है। वह भूल जाता है कि जीवन तो सेमल के फूल के समान...
View Articleहाथ में सब्र की कमान हो तो तीर निशाने पर लगता है।
धैर्य कडुवा लेकिन इसका फल मीठा होता है।लोहा आग में तपकर ही फौलाद बन पाता है।।एक-एक पायदान चढ़ने वाले पूरी सीढ़ी चढ़ जाते हैं।जल्दी-जल्दी चढ़ने वाले जमीं पर धड़ाम से गिरते हैं।।छटाँक भर धैर्य सेर भर...
View Articleदादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ
घर में माता-पिता के बाद स्कूल में अध्यापक ही बच्चों का गुरु कहलाता है। प्राचीनकाल में अध्यापक को गुरु कहा जाता था और तब विद्यालय के स्थान पर गुरुकुल हुआ करते थे, जहाँ छात्रों को शिक्षा दी जाती थी। चाहे...
View Articleघर से बाहर एक घर
हिन्दी साहित्य के प्रति मेरा रूझान बचपन से रहा है। बचपन में जब पाठशाला जाने से पहले दूसरे बच्चों की तरह हम भी घर में धमा-चौकड़ी मचाते हुए खेल-खेल में बड़े बच्चों के साथ-साथ उनसे छोटी-छोटी हिन्दी...
View Articleसावन के झूले और उफनते नदी-नाले
ग्रीष्मकाल आया तो धरती पर रहने वाले प्राणी ही नहीं अपितु धरती भी झुलसने लगी। खेत-खलियान मुरझाये तो फसल कुम्हालाने लगी। घास सूखी तो फूलों का सौन्दर्य-सुगंध तिरोहित हुआ। बड़े-बड़े पेड़-पौधे दोपहर की तपन...
View Articleसामाजिक एकाकार का उत्सव : गणेशोत्सव
हमारी भारतीय संस्कृति अध्यात्मवादी है, तभी तो उसका श्रोत कभी सूख नहीं पाता है। वह निरन्तर अलख जगाकर विपरीत परिस्थितियों को भी आनन्द और उल्लास से जोड़कर मानव-जीवन में नवचेतना का संचार करती रहती है।...
View Articleनवरात्र के व्रत और बदलते मौसम के बीच सन्तुलन
जब प्रकृति हरी-भरी चुनरी ओढ़े द्वार खड़ी हो, वृक्षों, लताओं, वल्लरियों, पुष्पों एवं मंजरियों की आभा दीप्त हो रही हो, शीतल मंद सुगन्धित बयार बह रही हो, गली-मोहल्ले और चौराहे माँ की जय-जयकारों के साथ...
View Articleदीपावली का आरोग्य चिन्तन
दीपावली जन-मन की प्रसन्नता, हर्षोल्लास एवं श्री-सम्पन्नता की कामना के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक की अमावस्या की काली रात्रि को जब घर-घर दीपकों की पंक्ति जल उठती है तो वह पूर्णिमा से अधिक...
View Articleचुनाव महोत्सव
हमारी भारतीय संस्कृति में अलग-अलग प्रकार के धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों के अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार हैं, जिन्हें वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा...
View Articleकविता तेरे प्यार में ........
गया दिल अपना पास तेरे जिस दिन तूने मुझे अपना माना हैआया दिल तेरा पास अपने जिस दिन मैंने प्यार को जाना है।दिल न वश में अब मन भी भागा जाये रे!कविता तेरे प्यार में हाले दिल बेहाल रे।।पहले सोचा न था कभी...
View Articleआप भी बच्चों के साथ क्राफ्ट प्रदर्शनी देखने जाइए
घर से सीधे दफ्तर और दफ्तर से सीधे घर की भागमभाग। इस उलझती-सुलझती दोहरी भूमिका के साथ जब बच्चों की साफ-सफाई, खिलाने-पिलाने के अतिरिक्त पढ़ाने का जिम्मा भी खुद उठाना पड़ता है तो शरीर बुरी तरह थककर चूर हो...
View Articleनानी बनने की खुशखबरी
मेरी सोनिया माँ बनी और मैं नानी माँ। जैसे ही मुझे उसने यह खुशखबरी दी, मैं खुशी से झूम उठी। इधर एक ओर बच्चों की परीक्षाओं का बोझ सिर पर था तो दूसरी ओर विधान सभा चुनाव के कारण छुट्टी नहीं मिलने से मन...
View Articleगुलाबों की गुलाबी और बोन्साई रंगत में
मध्यप्रदेश रोज सोसायटी संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी की ओर से बीते रविवार को जब मैं सपरिवार भोपाल स्थित शासकीय गुलाब उद्यान में आयोजित 32वीं अखिल भारतीय गुलाब प्रदर्शनी देखने पहुँची तो...
View Articleविवशता में फायदे का सौदा नहीं किया जा सकता है
विवशता की हालत में कोई नियम लागू नहीं होता है।कीचड़ में फँसे हाथी को कौआ भी चोंच मारता है।।कुँए में गिरे शेर को बंदर भी आँखें दिखाता है।उखड़े हुए पेड़ पर हर कोई कुल्हाड़ी मारता है।।मुसीबत में फँसा शेर...
View Articleभारतीय प्रजातंत्र में नोटा की उपयोगिता
अण्णा हजारे ने अनशन तोड़ने के साथ चुनाव सुधारों को लेकर संघर्ष छेड़ने की बात की थी। अण्णा के अनुसार मतदाता को मतपत्र पर दर्ज उम्मीदवारों को खारिज करने का भी हक मिलना चाहिए। अगर दस प्रत्याशी मतपत्र में...
View Articleझुमरी की याद में
जब से पड़ोसियों के घर विदेशी पग (Pug Dog) आया है, तब से जब-तब झुमरी के दोनों बच्चे उसके इधर-उधर चक्कर काट-काट कर हैरान-परेशान घूमते नजर आ रहे हैं। कुर्सी पर शाही अंदाज में आराम फरमाता लंगूर जैसे काले...
View Article