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मौत तारीख देखकर नहीं आती है

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सबकुछ मिट्टी से पैदा होकर फिर उसी में मिल जाता है
राजा हो या रंक सबका अंत एक-सा होता है।
उसी का जीवन सार्थक है जो गलतियों से फायदा उठाता है
हमेशा जीते रहेंगे सोचने वालों का जीवन बेकार हो जाता है
समय किसी अस्तबल में खूंटे से बंधे घोड़े जैसा नहीं रहता है
प्रतिकूल समय में अपने आपको उसके अनुकूल ढ़ालना पड़ता है
ऐसा कोई घाव नहीं जिस पर वक्त मरहम नहीं लगा पाता है
रण कौशल दिखलाने वालों का ही इतिहास लिखा जाता है
जहाँ फरिश्ते भी कदम रखने से डरें वहाँ मूर्ख दौड़े चले जाते हैं
बुद्धिमान सत्य तो मूर्ख झूठ का पता लगाकर खुश होते हैं
सब गधे चार पाँव वाले नहीं होते हैं
मूर्खों के सिर पर सींग नहीं होते हैं
बड़े दुःख आने पर हम छोटे-छोटे दुःखों को भूल जाते हैं
दुःख और सुख चक्र की तरह बारी-बारी से आते हैं
कभी शहद कभी प्याज से काम चलाना पड़ता है
उसी का तन-मन सुखी जो समय देख चलता है
कभी के दिन तो कभी रात बड़ी होती है
विपत्ति मनुष्य के साहस को परखती है
काम बिगड़ते देर नहीं बनते देर लगती है
मृत्यु सब गलतियों पर नकाब डाल देती है
बहुत बड़ी दावत भी थोड़ी देर की होती है
मौत तारीख देखकर नहीं आती है
...कविता रावत 

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