ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन
मरुस्थली अन्तःस्थल में भरें संवेदनासहयोग, त्याग, उदारता से भरे मनपरस्पर विरोध-विग्रह दूर हों सभी केकुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदनबीज सा गलकर फिर बने वृक्षधरकर परमार्थव्रत करें नवसर्जनसमभाव दिखे सबको...
View Articleपुस्तक समीक्षा के बारे में
हर कोई लिखने वाला दिल से चाहेगा कि यदि उसका लिखा एक पुस्तक के स्वरुप में उसके सामने आ जाय तो वह पल उसके लिए कितना बड़ा सुखकर होगा! लेकिन यह किसी भी लेखक के लिए लिखने से अधिक उसे पुस्तक रूप में देख पाना...
View Articleसमीक्षा - कविता रावत का रचना संसार
समीक्षक : ब्लॉगर रवि रतलामी समीक्ष्य कृतियाँ -1 - होठों पर तैरती मुस्कान2 - लोक उक्ति में कविता3 - कुछ भूली-बिसरी यादें4 - कुछ खट्टे-मीठे पल—कविता रावत के लेखन में नियमितता रही है और उन्होंने हिन्दी...
View Articleमेरी बगिया का वसंत
ऑफिस की छुट्टी हो और ऊपर से जाड़े का मौसम हो तो सुबह आँख जरा देर से खुलती है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। सुबह जब उठकर बाहर निकली तो देखा कि बिल्डिंग की दूसरी मंजिल में रहने वाली हमारी महाराष्ट्रीयन...
View Articleकविता संग्रह का उपहार
आज सुबह जैसे ही मैं जागी तो मैंने देखा कि मेरे पतिदेव बड़ी उत्सुकता के साथ मेरे सामने खूबसूरत पैकिंग किया हुआ उपहार अपने हाथों में पकड़े हुए खड़े थे। वे चुपचाप खड़े-खड़े मुझे देखते हुए मंद-मंद मुस्कुराते जा...
View Articleगरीबी में डॉक्टरी : एक और मांझी
'माउंटेन मैन'दशरथ मांझी की तरह ही मेरी दृष्टि में "एक और मांझी" है- 'धर्मेन्द्र मांझी''जिसने पहाड़ काटने जैसा कठिन शारीरिक परिश्रम तो नहीं क्या, लेकिन उसने जिस तरह बचपन से लेकर आज अपनी 32 वर्ष की आयु...
View Articleगरीबी में डॉक्टरी
कथा-लेखन के सम्बन्ध में मेरा मानना है कि किसी भी कहानी की पृष्ठभूमि जितनी धरातल से जुड़ी होकर सरल शब्दों में अभिव्यक्त होंगी, वह उतनी ही गहराई तक पाठकों के दिलों में उतरकर अपना एक अलग स्थान बनाने में...
View Articleकहानी संग्रह 'गरीबी में डॉक्टरी'का प्रकाशन
मेरे द्वारा गरीबी में डॉक्टरी कहानी संग्रह को शब्द.इन मंच के 'पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता (फरवरी-मार्च 2022) के प्रतिभागी के रूप में प्रस्तुत किया गया था। प्रतियोगिता का परिणाम 5 अप्रैल 2022 को घोषित...
View Articleबुलेवर्ड स्ट्रीट की एक शाम
पिछले दो वर्ष से अधिक समय से कोरोना के मारे घर में मुर्गा-मुर्गियों के दबड़े की तरह उसमें दुबक कर रह गए थे। अभी मौसम का मिजाज क्या गर्मियाया कि अब हर सुबह-शाम घूमने-फिरने की आदद पड़ गई है। हर दिन की तरह...
View Articleबस हैप्पी न्यू ईयर बोल
एक निश्चित दूरीहै बहुत जरूरीदेखो! उन कुकुरों को जो जब तक एक-दूजे को देखगुर्रा-धमकाकर रास्ता नाप लेते हैंतक तक वे सुरक्षित रहते हैंलेकिन जैसे ही वे आपस में भिड़ते हैंएक-दूजे की टंगड़ी-संगड़ी तोड़ लेते...
View Articleबुलेवर्ड स्ट्रीट की एक शाम
पिछले दो वर्ष से अधिक समय से कोरोना के मारे घर में मुर्गा-मुर्गियों के दबड़े की तरह उसमें दुबक कर रह गए थे। अभी मौसम का मिजाज क्या गर्मियाया कि अब हर सुबह-शाम घूमने-फिरने की आदद पड़ गई है। हर दिन की तरह...
View Articleभीषण गर्मी और पानी चोर
दो दिन से नल से पानी की एक बूँद भी नहीं टपकी है। ये पानी पिलाने वाला विभाग भी बोलता कुछ और है और करता कुछ और ही है। इधर हमको कहा एक दिन की परीक्षा है और उधर दो दिन तक बिठा के रख दिया। कहाँ तो एक दिन...
View Articleमाँ की छत्रछाया में
मेरे साथ ही मेरे पति, बेटे और बेटी चारों को पशु-पक्षियों से बड़ा प्रेम हैं। यह बात हमारे अड़ोसी-पड़ोसी ही नहीं बल्कि जान-पहचान और रिश्तेदार भी भलीभांति जानते हैं। हमारे इसी पशु-पक्षी प्रेम को देखते हुए...
View Articleहोंठों पर तैरती मुस्कान'कहानी संग्रह के बारे में
''गरीबी में डॉक्टरी'के उपरान्त 'होंठों पर तैरती मुस्कान'मेरी कहानियों का दूसरा संग्रह है। संग्रह की कहानियाँ सीधे सरल शब्दों में सामाजिकता के ताने-बाने बुनकर मैंने पाठकों को कुछ न कुछ संदेश देने का...
View Articleउसे तूफानों से टकराना ठीक नहीं
कपोल कल्पित कल्पना में जीने वाले हकीकत का सामना करने से डरते हैं जो हौंसला रखते सागर पार करने की वह कभी नदियों में नहीं डूबा करते हैं ऊंचाईयों छूने की इच्छा रखते हैं सभी पर भला भरसक यत्न कितने करते...
View Articleपेड़-पौधे लगाएं प्रकृति को प्रदूषण से बचाएं
आज विश्व पर्यावरण दिवस है। हमारे जीवन के अस्तित्व, निर्वाह, विकास आदि को दूषित करने वाली स्थिति को पर्यावरण-प्रदूषण कहा जाता है। जैसे-जैसे महानगरों के विस्तार के साथ ही नए-नए उद्योग-धंधों का अनियंत्रित...
View Articleभीषण गर्मी में भी फल देने में पीछे नहीं हैं केले व पपीते के पेड़
आजकल गर्मी के तेवर बड़े तीखे हैं। नौतपा आकर चला गया लेकिन मौसम का मिजाज कम होने के स्थान पर और भी अधिक गरमाया हुआ है। इंसान तो इंसान प्रकृति के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, फूल-पत्तियाँ कुछ मुरझाते तो कुछ सूखते...
View Articleदिल किसी का न टूटे
प्रसिद्ध वैज्ञानिक थाॅमस अल्वा एडिसन से सारा संसार भलीभांति परिचित है। प्रारम्भिक शिक्षा के दौरन अध्यापक ने उनकी अति जिज्ञासु प्रवृत्ति के चलते उन्हें मंद-बुद्धि और चंचल बताकर स्कूल से निकाल दिया, जिस...
View Articleबुजुर्गो के आशीर्वाद से जीवन में सुकून मिलता है
एक बार मैं एक आध्यात्मिक संगोष्ठी में सम्मिलित हुआ। मंच से जब एक बुजुर्ग महात्मा ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें वृद्धाश्रमों की बहिष्कार करना चाहिए तो वहाँ बैठे सभी श्रोतागण अचम्भित...
View Articleमिटटी-पानी-हवा यही तो कुदरत के हैं वरदान
प्रकृति का वरदान, नहीं संभलता इंसान मिटटी-पानी-हवा यही तो कुदरत के हैं वरदान मानव तो धरती पर निश्चित समय का है मेहमान नदी, कुएँ, झील, बावड़ी, सागर से रखो अपनापन ढ़लती उम्र में साथ इनका भुला न पाओगे बचपन...
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