जल संरक्षण: जल ही जीवन है |international water day|
यह सार्वभौमिक सत्य है कि प्राणिमात्र के लिए जिस तरह से प्राणवायु के लिये आॅक्सीजन जरूरी है उसी तरह जल भी। कहना गलत नहीं होगा कि जल के बिना न तो मनुष्यों का काम चलता है और न ही इसके इतर पृथ्वी पर पलने...
View Articleरामनवमी : श्रीराम जन्मोत्सव
जब मंद-मंद शीतल सुगंधित वायु प्रवाहित हो रही थी, साधुजन प्रसन्नचित्त उत्साहित हो रहे थे, वन प्रफुल्लित हो उठे, पर्वतों में मणि की खदानें उत्पन्न हो गई और नदियों में अमृत तुल्य जल बहने लगा तब-नवमी तिथि...
View Articleसुरम्य पहाड़ी में स्थित है देवास माता मंदिर
हमें ऑफिस और बच्चों को स्कूल, कॉलेज और कोचिंग से दो दिन अवकाश के मिले तो बहुत दिन से देवास वाली माता के दर्शन का मन था, तो परिवार के साथ टैक्सी करके रविवार सुबह-सुबह निकल पड़े, जहाँ पहुंचकर...
View Articleभक्ति और शक्ति के बेजोड़ संगम हैं हनुमान
चैत्रेमासि सिते मक्षे हरिदिन्यां मघाभिधे।नक्षत्रे स समुत्पन्नो हनुमान रिपुसूदनः।।महाचैत्री पूर्णिमायां समुत्पन्नोऽञ्जनीसुतः।वदन्ति कल्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन।।अर्थात्-चैत्र शुक्ल एकादशी के दिन मघा...
View Articleदलित वर्ग के प्रतिनिधि और पुरोधा थे डाॅ. भीमराव रामजी अंबेडकर
डाॅ. भीमराव आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के अम्बावड़े गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीरामजी सकवाल तथा माता का नाम भीमाबाई था। उनके "आम्बेडकर"नाम के मूल में एक...
View Articleबीज वाला केला ||Seeded Banana||
गर्मियों में तो सुबह-सबेरे घूूमना आम बात है। लेकिन जैसे ही बारिश का मौसम आता है, तो यदा-कदा ही जब मौसम थोड़ा-बहुत साफ हो तो तभी घूमना-घामना होता है। यूँ ही बात 4 अगस्त 2018 की है। उस दिन सुबह-सबेरे हम...
View Articleसबसे बेखबर उसका घरौंदा
घर से १०-१५ दिन बाहर जाने के बाद जब वापस घर का ताला खुलता है तो अन्दर का नज़ारा बहुत कुछ बदला-बदला अजनबी सा जान पड़ता है. सपरिवार १५ दिन के दिल्ली अल्प प्रवास के बाद जब घर का ताला खोला तो कुछ ऐसा ही...
View Articleजिंदगी रहती कहाँ है
अपने वक्त पर साथ देते नहींयह कहते हुए हम थकते कहाँ हैये अपने होते हैं कौन?यह हम समझ पाते कहाँ है!दूसरों को समझाने चले हमअपनों को कितना समझा पाते हैंदूसरों को हम झांकते बहुतपर अपने को कितना झांक पाते...
View Articleमजदूर कितने करीब कितने दूर
मजदूर सबके करीब सबसे दूरकितने मजबूर ये मजदूर!कभी बन कर कोल्हू के बैलघूमते रहे गोल-गोलख्वाबों में रही हरी-भरी घासबंधी रही आससपने होते रहे चूर-चूरसबके करीब सबसे दूरकितने मजबूर ये मजदूर!कभी सूरज ने...
View Articleअब मैं वह दिल की धड़कन कहाँ से लाऊंगा
जब-जब भी मैं तेरे पास आयातू अक्सर मिली मुझे छत के एक कोने मेंचटाई या फिर कुर्सी में बैठीबडे़ आराम से हुक्का गुड़गुड़ाते हुएतेरे हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुन मैं दबे पांव सीढ़ियां चढ़कर तुझे चौंकाने तेरे...
View Articleश्री चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर (सिद्धपुर) सीहोर | स्वयं भू गणेश |
Like, Share & Subscribe also please.देश में चिंतामन सिद्ध गणेश की चार स्वंयभू प्रतिमाएं हैं, जिनमें से एक सीहोर में विराजित हैं। यहां साल भर लाखों श्रृद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं तथा...
View Articleककड़ी चोरी वाले बचपन के दिन
इन दिनों हमारे बग़ीचे में ककड़ी, लौकी और तोरई की छोटी-छोटी बेल तो सेम और कद्दू की बड़ी बेलें फ़ैल रही हैं। इन सभी के बीज हमने गांव से मँगवाकर बोये हैं। हर दिन जब इन बेल को धीरे-धीरे बढ़ते हुए फैलते देखती...
View Articleकंडाली से ताज़ी ग्रीन टी और साग दोनों बनता है | Kandali produces both fresh...
आजकल अंग्रेजों द्वारा लायी गई चाय के बजाय लोगों की पहली पसंद चीन से शुरू हुई ग्रीन टी बनती जा रही है। चाय के बिना तो अपनी गाड़ी चलती नहीं है, इसलिए चाय छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता, लेकिन जब कोरोना काल...
View Article'दादी'के आते ही घर-आंगन से रूठा वसंत लौट आया ...
हम चार मंजिला बिल्डिंग के सबसे निचले वाले माले में रहते हैं। यूँ तो सरकारी मकानों में सबसे निचले वाले घर की स्थिति ऊपरी मंजिलों में रहने वाले लागों के जब-तब घर-भर का कूड़ा-करकट फेंकते रहने की...
View Articleपेड़-पौधे प्रकृति की आत्मा और प्राकृतिक सुंदरता के घर होते हैं
हमारा घर चार मंजिला इमारत के भूतल पर स्थित है। प्रायः भूतल पर स्थित सरकारी मकानों की स्थिति ऊपरी मंजिलों में रहने वालों के जब-तब घर भर का कूड़ा-करकट फेंकते रहने की आदत के चलते किसी कूड़ेदान से कम नहीं...
View Articleस्वास्थ्य के लिए गुणकारी है जंगल जलेबी
गर्मियों में सुबह-सुबह घूमने-फिरने से दिन भर शरीर में ताजगी बनी रहती हैं। इस दौरान घूमते-फिरते मुफ्त में यदि कुछ प्रोटीन, वसा, कार्बोहैड्रेट, केल्शियम, फास्फोरस, लौह, थायामिन, रिबोफ्लेविन आदि तत्वों से...
View Articleवर्तमान परिदृश्य में योग की आवश्यकता | internationalyogaday |
आज के भौतिकवादी युग में एक ओर जहां हम विज्ञान द्वारा विकास की दृष्टि से उन्नति के शिखर पर पहुंच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक रूप से हमारा पतन परिलक्षित हो रहा है। आज मनुष्य के खान-पान,...
View Articleराजनेता के दुराचार से टूटे-बिखरे घर की व्यथा-कथा है 'पुरुष'नाटक
फिल्म हो या टीवी सीरियल उन्हें देख मुझे कभी भी वह आत्मतृप्ति नहीं मिलती, जितनी किसी थिएटर में मंचित नाटक को देखकर मिलती है। कारण स्पष्ट है नाटक जैसा जीवंत मंचीय संवाद किसी अन्य मंच में कहाँ...
View Articleदादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ
घर में माता-पिता के बाद स्कूल में अध्यापक ही बच्चों का गुरु कहलाता है। प्राचीनकाल में अध्यापक को गुरु कहा जाता था और तब विद्यालय के स्थान पर गुरुकुल हुआ करते थे, जहाँ छात्रों को शिक्षा दी जाती थी। चाहे...
View Articleकुछ शर्माती कुछ सकुचाती
कुछ शर्माती कुछ सकुचातीजब आती बाहर वो नहाकरमन ही मन कुछ कहतीउलझे लट सुलझा सुलझाकरझटझट झटझट झरझर झरझरबूंदें गिरतीं बालों से पल-पलदिखतीं ये मोती सी मुझकोया ज्यों झरता झरने का जलझर झर झरता झरने सा जलझर झर...
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